आपका सबसे बड़ा दुश्मन। आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है। आलस्य से छुटकारा कैसे पाएं।
ऐसा शायद ही कोई हो, जिसका कोई दुश्मन ना हो। हर आदमी का कोई न कोई दुश्मन होता है। दुश्मन कई प्रकार के होते हैं। कुछ तो मनुष्य रूप में होते हैं, कुछ मानसिक रूप में। रास्ते में आने वाले अड़ंगे और कार्य में पढ़ने वाली बाधाएं भी हमारी दुश्मन बन जाया करती है। मतलब यह है कि हर आदमी का कोई न कोई दुश्मन होता है।
इन दुश्मनों में सबसे बड़ा दुश्मन कौन है?
इस एक प्रश्न के अनेक उत्तर हो सकते हैं। कुछ लोगों की दृष्टि में चिंता आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन है। यह मनुष्य को जीते जी तिल-तिल मारता है। कुछ लोग आदमी के भीतर के स्वयं को ही सबसे बड़ा दुश्मन मानते हैं। इस संबंध में सबकी एक राय नहीं हो सकती है। इस प्रश्न के अनेक उत्तर हो सकते हैं।
आप स्वयं सोचिए कि आप का सबसे बड़ा दुश्मन कौन है?
फिर अपने मित्रों, परिजनों से यही प्रश्न कीजिए। उनका उत्तर आपके उत्तर से अलग होगा। ऐसी विवादास्पद स्थिति में सामूहिक समीक्षा की जाती है। सर्वेक्षण कर लिया जाता है और देखा जाता है कि सर्वाधिक मतों का प्रतिशत किस ओर है। यदि इस प्रश्न का उत्तर प्राप्त कर सब का सर्वेक्षण किया जाए तो सबसे ज्यादा प्रतिशत समर्थन मिलता है आलस्य को।
आलस्य आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन है। आलस्य मनुष्य का सबसे ज्यादा समय बर्बाद करता है और उसकी प्रगति के मार्ग में सबसे बड़ा रोड़ा है। यह एक ऐसा खतरनाक दुश्मन है कि अच्छी से अच्छी प्रतिभा को भी मुंह के बल गिरा देती है।
हमारे शरीर में बैठा आलस्य हरक्षण हमें अपंग बनाने की चेष्टा करता है। आप स्वयं महसूस करते हैं इसे। यह प्रतिदिन, प्रतिक्षण हमारे ऊपर आक्रमण करता रहता है। बिस्तर पर ही यह आक्रमण कर देता है। यदि आप अपनी दिनचर्या बना लेंगे और यह संकल्प कर लेंगे की इतने बजे उठ जाना है। जरूर समय से आपकी नींद टूट जाएगी पर, ठीक उसी समय आलस्य आप पर हमला कर देगा, की जरा और सो लो, बस 10 मिनट अभी उठ जाना, ऐसी क्या जल्दी है। आलस्य आपके शरीर को भी सुस्त करने लगेगा। जहां आपने बात मानी वही नींद लग, गई गहरी नींद, आलस्य आपको चंगुल में लेकर आपकी सारी दिनचर्या बिगाड़ कर रख देगा। आलस्य के पंजे बहुत मजबूत होते हैं। एक बार यह जिसको चंगुल में ले ले, फिर उसका बेड़ा गर्क कर देता है।
यह मनुष्य का सबसे मीठा दुश्मन है। बड़ी मिठास के साथ यह आदमी को मारता है। आप परिश्रम कर रहे हैं। कोई कार्य कर रहे हैं। थोड़ा सा आराम करने का विचार मन में आया नहीं की आलस्य ने आ घेरा।
"बस 2 मिनट आराम कर लो। 2 मिनट में क्या हो जाएगा?" विचार आया। आप आराम करने लगे। बस ठीक इसी समय आलस्य आप को जकड़ लेगा। थोड़ा और आराम कर लो.... यह आपकी मजबूत इच्छाशक्ति को धीमा कर देगा। आपको नींद में सुला देगा या आप आराम ही करते रहेंगे। आपका काम पिछड़ जाएगा। बड़े प्यार से यह आपको अपने चंगुल में जकड़ लेता है। खरगोश और कछुए की कहानी तो हम सभी जानते ही हैं।
यह आलस्य ही आपके काम को बिगड़ता है। काम बिगड़ जाने पर परेशानियां बढ़ जाया करती है। यह आलस्य ही है, जो आज का काम कल पर, कल का काम परसों पर डाल देता है। "कौन सी मुसीबत आ रही है? कल कर लेंगे।" यह भावना आपके मन में हमेशा आलस्य भर दिया करती है। मगर काम टल गया और आपका कबाड़ा हो गया। तब सारा खेल गड़बड़ हो जाता है।
आलस्य बड़े ही मोहक मीठे ढंग से आता है। आपको अपने चंगुल में दबोच लेता है। बड़े प्यार से धीरे-धीरे आलस्य आता है। हल्की सी थपकी देता है, चलो आराम कर लो। बस फिर चीते की तरह दबोच कर अपने कब्जे में कर लेता है।
आलस्य आप का सबसे बड़ा दुश्मन है। आप स्वयं अपनी जिंदगी में झांक कर देखिए। इस आलस्य ने आपके कितनी काम बिगाड़े हैं? आपको कितना पीछे धकेला है? दूसरों से आपको कितना पीछे कर दिया है? स्वयं आप जान लेंगे। यह जिंदगी जीने के लिए है। शान से जीने के लिए है।
आवश्यकता इस बात की है कि आप आलस्य को बिल्कुल स्थान न दें। अपना काम समय पर करें। इस कार्य में जरा भी ढील ना दें। लगातार नियम पूर्वक कार्य करने से ही आप किसी भी कार्य को पूरा कर सकते हैं या उसमें सफलता प्राप्त कर सकते हैं। जिन लोगों ने आलस्य को दुत्कार कर दूर रखा है उन्होंने ही सारी सफलताएं प्राप्त की है।
इतिहास उठा कर देखिए। जीवन में सब कुछ नाम और यस, धन-वैभव उन सब को मिला है, जिन्होंने आलस्य कभी नहीं किया और लगातार काम करते रहे। जिंदगी हमें इसलिए मिली है, कि हम कुछ कर सके, कुछ ना कुछ करते रहें। व्यर्थ जीवन नहीं गवाना है। जीवन में कुछ न कुछ करना आवश्यक है।
अरुणिमा सिन्हा कि दोनों पैर ट्रेन हादसे में कट गई थी। फिर भी उन्होंने माउंट एवरेस्ट फतह किया और खुद के साथ-साथ देश का नाम रोशन किया। परिस्थितियां कैसी भी हो, हमें बस दिल से काम करने की जरूरत है।
किसी भी महापुरुष का जीवन देखिए। वह आलस्य से हमेशा दूर रहे हैं। लगातार परिश्रम करने के बाद ही सफलता प्राप्त किए हैं। अपना नाम अमर कर गए हैं। रेल के इंजन के आविष्कार करने वाले जॉर्ज स्टीफन हो या हवाई जहाज के अविष्कारक हो, सब ने आलस्य से अपने को दूर रखा और सफलता प्राप्त की है। आलस्य को अपने पास मत भटकने दीजिए। समय पर अपना प्रत्येक कार्य करिए। समय की पाबंदी आपका जीवन खुशहाल बना देगी। अपने काम बराबर करते रहिए, उसको कल पर मत छोड़िए।
आलस्य आपके हर काम बिगड़ता है। आपका हर संकल्प तोड़ कर रख देता है। आपकी दिनचर्या में व्यवधान उत्पन्न कर देता है। आपने कोई संकल्प लिया, यह काम आज पूरा कर डालेंगे अथवा इस सप्ताह ऐसा करना है, तो आलस्य आपकी समय अवधि को बढ़ा देगा। समय पर आपको काम ना करने देगा। श्रम की ओर से आप की शक्ति को हटाकर इधर-उधर के कार्य में लगाने की चेष्टा करेगा। आपका काम बिगड़ जाएगा। रोज भले ही आप कार्यक्रम बनाएं कि आज यह करना है, इतना करना है पर कुछ भी ना कर पाएंगे। अगर होगा तो भी बहुत कम।
कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है?
जो काम आप करना चाहते हैं, जो निश्चय आप करते हैं, वह पूरा क्यों नहीं होता है? क्यों काम अधूरा रह जाता है? इसमें कहां गलती हो जाती है? क्या कोई दूसरा आकर आपके इन सब कामों में बाधा उत्पन्न करता है?
कोई काम हमने शुरू किया, कुछ करने के बाद रोक दिया। कर लेंगे अभी। इस विचार के साथ किसी और काम में लग गए या गपशप करने लगे। एक विचार यह भी मन में आता है कि अरे अभी मुझमें बहुत क्षमता है। इस कार्य को तो मैं सरलता से कर लूंगा। चुटकियों में वह काम हो जाएगा। बस यहीं पर काम रुक कर बिगड़ जाता है। हम हार जाते हैं। हमारे अपने विचार, हमारी अपनी भावनाएं हमारा खेल बिगाड़ दिया करती है।
इसी प्रकार के विचार आपके मन का आलस्य, आपके मन में उत्पन्न होता है। आपका काम बर्बाद कर देता है। इस बात को आप अच्छी तरह समझ ले, कि इस प्रकार की कोई भावना आपके मन में आए तो उसे भरने ना दें। उस पर विचार करें। अपने काम में लगातार लगे रहे। टालने का नाम भूल जाए, तभी आप अपना काम पूरा कर सकेंगे।
आलस्य का परिणाम भयानक हो सकता है। समय पर कार्य पूरा न करने पर आपको आर्थिक हानि उठानी पड़ सकती है। वादा पूरा न कर पाने के कारण, आपको शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है। आपकी बेइज्जती हो सकती है।
अपना आप जो भी कार्यक्रम बनाएं, दिनचर्या निश्चित करें, उसमें फर्क ना पढ़ने दे। पूरी कड़ाई से उस पर अमल करें। जब तक ऐसा नहीं करेंगे, तब तक आपका काम बिगड़ता ही रहेगा।
कोई भी अपना कार्य करते समय अपना ध्यान इधर उधर ना ले जाए। पूरा ध्यान लगाकर अपना कार्य करें। इस प्रकार जब आप करेंगे तो आपका हर काम पूरा हो जाएगा और तब जिंदगी का मजा कुछ और ही होगा और आपको लगेगा कि जिंदगी सचमुच बड़ी अच्छी है। जिंदगी जीने के लिए मिली है। यह जिंदगी सफल है। जिंदगी का सच्चा आनंद तभी प्राप्त कर सकेंगे।
आलस्य से छुटकारा पाने का एक ही उपाय है। अपने मन को कड़ा किए रखिए। काम में ही मन लगाए रहिए। जितनी एकाग्रता के साथ आप अपना काम करेंगे, आलस्य आप से उतनी ही दूर होगा। कोई भी कार्य करते समय इसमें पूरी तरह मग्न हो जाइए, डूब जाए उस कार में, फिर देखिए वह कार्य कैसे नहीं होता है? और साथ ही देखिए कि फिर उस कार्य को करने में आपको कितना आनंद आता है? आलस्य पास आएगा ही नहीं।
निरंतर कार्य करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। यह बात एकदम ठीक है।
मतलब यह नहीं है कि रात-दिन बैल की तरह काम करते रहिए। दिनचर्या के अनुसार काम करिए। उसमें थोड़ा समय मनोरंजन, आराम और अन्य बातों के लिए भी रखिए। लगातार एक ही काम करते रहना संभव ही नहीं है।
कोई कार्य आपके हाथ में है। आपने अपनी दिनचर्या में प्रतिदिन दो या 4 घंटे का, अथवा जितना भी समय रखा है, उतना समय पूरी लगन के साथ अपनी कार्य में लगाइए। अपना ध्यान इधर उधर मत ले जाइए फिर आप स्वयं देखेंगे की कितनी तेजी के साथ आपका आशा से अधिक आपका काम हो गया है। आज की यह लगन आपको अच्छा फल देगी।
होता यह है कि काम तो हम अपना करते हैं पर हमारा दिल दिमाग कहीं और होता है। एकाग्र होकर हम कार्य नहीं कर पाते हैं। आंखें काम पर है, हाथ अपना काम कर रहे हैं, पर हमारा दिमाग कहीं और होता है। हम कहीं और भटक रहे होते हैं। ऐसा होने के कारण ही हमारे कार्य की गति धीमी हो जाती है। संभव है, हमारा किया गया कार्य गलत भी हो जाए। दिमाग पर नियंत्रण रखना, बहकने ना देना ही हमारा कार्य तेजी से संपन्न हो जाने का रहस्य है।
मान लीजिए, आप किसी कार्यालय में काम करते हैं। आपकी 6 या 7 घंटे की ड्यूटी है। अपना पूरा समय उसमें लगे रहे, कोई भी काम बाकी नहीं रखिये। हाथ का हाथ बराबर काम खत्म कर दीजिए, पेंडिंग में रखते रहेंगे तो आप का बोझ बढ़ता जाएगा। रोज का काम रोज समाप्त कर डालिए। फिर आप स्वयं देखिएगा कि आपको अपनी नौकरी में, ऑफिस के काम में कितना मजा आता है।
आप अपना व्यक्तिगत कार्य कर रहे हो, किसी कार्यालय में कार्य कर रहे हो, अपने कार्य में आलस्य ना लाएं और पूरी समय ईमानदारी से काम करें। भले ही आपको इसका फल न मिले पर आप निश्चिंत तो रहेंगे। आप पर अधिक कार्य का भार तो ना होगा।
अपने व्यक्तिगत कार्य में आलस्य का परिणाम आपको गहरे संकट में डाल सकता है। आपका सारा बना बनाया काम बिगड़ सकता है। आप आर्थिक संकट में पड़ सकते हैं। आपका दिमाग परेशान हो सकता है। इस बात को हमेशा याद रखें कि आलस्य आप का सबसे बड़ा दुश्मन है।
यह एक ऐसी बात है जो आपको सदा याद रखनी चाहिए। अपना हर काम समय पर, वक्त पर करिए देखिए आपका जीवन स्वयं कितना सुखमय हो जाएगा। आप हर ओर से निश्चिंत रहेंगे।
गांव हो या शहर, आपने देखा होगा कि अक्सर लोग एक जगह बैठ कर लंबी-लंबी डींगे हांकते रहते हैं। यदि आपके अंदर वैसी गंदी आदत है, तो जितना जल्द हो सके, इस आदत से छुटकारा पाएं। कोई भी देश तभी आगे बढ़ सकता है। जब उस देश के नागरिक आलस्य न करें और अपने कर्तव्य का निर्वहन समय से करें। यह बात हमेशा अपने दिमाग में याद रखें कि, आपके जीवन का एक एक क्षण कम होता जा रहा है।
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