अब बिहार के शिक्षकों का क्या होगा
#आखिर बिहार के शिक्षक हड़ताल पर क्यो है,पूरा मामला को समझते हैं इस लेख के द्वारा
सबसे पहले हम समझेंगे ये शिक्षक कौन हैं और आम शिक्षकों के मुकाबले में इन्हें कितना कम वेतन मिलता है
बिहार में 2003 से सरकारी स्कूलों में शिक्षा मित्र रखे जाने का फैसला किया गया था, उस वक्त में दसवीं और बारहवीं में प्राप्त अंकों के आधार पर इन शिक्षकों को 11 महीने के अनुबंध पर रखा गया था. इन्हें मासिक 1500 रुपये का वेतन दिया जा रहा था. फिर धीरे धीरे उनका अनुबंध भी बढ़ता रहा और उनकी आमदनी भी बढ़ती रही.
2006 में इन शिक्षा मित्रों को नियोजित शिक्षक के तौर पर मान्यता मिली. मौजूदा समय में इन नियोजित शिक्षकों में प्राइमरी टीचरों को 22 हजार से 25 हजार रुपये प्रतिमाह मिलते हैं, वहीं माध्यमिक शिक्षकों को 22 से 29 हजार रुपये मिलते हैं, हाई स्कूलों के ऐसे शिक्षकों को 22 से 30 हजार रुपये मिलते हैं.
बिहार पंचायत नगर प्राथमिक शिक्षक संघ के मुताबिक बिहार में मौजूदा समय में तीन लाख 73 हजार समायोजित शिक्षक हैं, जिन्हें अपने काम के हिसाब से वेतन नहीं मिल रहा है.
इनमें 2011 में शिक्षा के अधिकार के तहत राज्यस्तरीय परीक्षा के बाद तैनात किए गए करीब 80 हजार शिक्षक भी शामिल हैं, जिन्हें भी नियुक्ति के बदले समायोजित किया गया था. इन शिक्षकों की तुलना में नियुक्ति के आधार पर तैनात शिक्षकों का वेतन 60 से 70 हजार रुपये के करीब है.
Note:- इन शिक्षकों को समान काम के लिये समान वेतन के साथ वो किसी प्रकार की सरकारी सुविधा का लाफ़ प्राप्त नही है जो सुविधा नियुक्ति प्राप्त शिक्षकों को प्राप्त है।
*अब आपके मन मे सवाल आया होगा कि ऐसा क्या हुआ कि ये सभी शिक्षक हड़ताल पर चले गए वो भी उस समय जब बिहार विधायलय परीक्षा समिति का 10वी का परीक्षा चल रहा हो। आपके मन मे ये भी सवाल आया होगा कि बिहार में विधान सभा का चुनाव होने वाला है,कही ये चुनावी दाव पेंच तो नही है। आइये जानते हैं विस्तार से:-
10 मई 2019को सुप्रीम कोर्ट ने नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों के समान वेतन देने का आदेश देने से इनकार किया था. इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की वो याचिका मंजूर कर ली थी जिसमें सरकार ने अपना पूरा पक्ष रखा था. इसके अलावा कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट का आदेश भी रद्द कर दिया था. इसके बाद ही शिक्षकों की ओर से रिव्यू पिटीशन दायर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने रिव्यू पिटीशन पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि पुराने फैसले में बदलाव की कोई जरूरत नहीं है.
इस मामले में 31 अक्टूबर 2017 को पटना हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए नियोजित शिक्षकों के पक्ष में आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि नियोजित शिक्षकों को भी नियमित शिक्षकों के बराबर वेतन दिया जाए. फिर राज्य सरकार की ओर से इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका लगाई गई.
इस पूरे मामले में बिहार सरकार की दलील थी कि इस आदेश से बिहार की सरकार पर अतिरिक्त 9500 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा. केंद्र सरकार ने भी इस मामले में बिहार सरकार का समर्थन किया था. कोर्ट में केंद्र सरकार ने 36 पन्नों के हलफनामे में कहा था कि इन नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता. सरकार का तर्क था कि समान कार्य के लिए समान वेतन के कैटेगरी में ये नियोजित शिक्षक नहीं आते. यदि इन्हें इस कैटेगरी में लाया गया तो सरकार पर प्रति वर्ष करीब 36998 करोड़ का अतिरिक्त भार आएगा. फिर ये भी कहा जा रहा था कि अगर इनकी मांग मानी गई तो दूसरे राज्यों से भी ऐसे मामले आएंगे.
बिहार में तकरीबन 3.7 लाख नियोजित शिक्षक कार्यरत हैं. शिक्षकों के वेतन का 70 प्रतिशत पैसा केंद्र सरकार और 30 फीसदी पैसा राज्य सरकार देती है।
इन्ही बातों को लेकर समायोजित शिक्षक हड़ताल पर हैं। शिक्षकों का हड़ताल पर जाना कोई चुनावी दाव पेंच नही है।
हमारे समाज मे स्कूल को मंदिर का दर्जा प्राप्त है,तो उस मंदिर में रहने वाले भगवान शिक्षक ही है। जब सरकार शिक्षकों के साथ भेद भाव करेगी तो जाहिर सी बात है,शिक्षकों को काम मे उतना मन नही लगेगा। इसका सीधा असर शिक्षा पर पड़ेगा।
सरकार दावा करती है कि हम शिक्षा में सुधार करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। पर कैसे,क्या शिक्षकों को नाराज कर सरकार शिक्षा में सुधार कर पायेगी?? अभी शिक्षकों के हड़ताल पर जाने से,जो विद्यार्थियों के शिक्षा पर असर पड़ेगा,उसकी सरकार भरपाई कैसे करेगी? बिहार के डूबती शिक्षा प्रणाली में सुधार कैसे होगी,एक बहूत बड़ा सवाल खड़ा कर जाती है???
वही काम समायोजित शिक्षक भी करते है और वही समान काम को नियुक्ति वाले शिक्षक भी करते हैं,फिर समान काम के लिये भेद भाव कैसा?
बिहार सरकार ने अपना दलील दिया था कि अगर समायोजित शिक्षकों के बात को मानती है,तो इससे सरकार के ऊपर 9500करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ आएगा। इस स्थित में सरकार या तो समायोजित शिक्षकों के बात को माने या फिर नियक्ति वाले शिक्षकों के वेतन को कम करे ताकि समान काम के लिए किसी प्रकार का भेद भाव न रहे।
इस लेख के माध्यम से हम अपना व्यक्तिगत राय प्रस्तुत कर रहे हैं। मेरे ख्याल से हर किसी को समाज मे होने वाली धटनाओं के प्रति अपना राय जरूर देना चाहिए,क्योकि हम सभी इस समाज के हिस्सा है।
लेख प्रस्तुति
धीरज वाणी
Comments
Post a Comment