एक नई दुनियां और नई समाज का सृजन
यदि सब जगह एक जैसी ही चीजें की जाती है , तो हमें उसे दोहराने की कोई आवश्यकता नही है। हम दूसरों की अपेक्षा उसे और अच्छा तरीका से नही कर पायेंगे।
यदि हम वही कर रहे हैं जो दूसरे कर रहे हैं तो कुछ भी करने के लिये कष्ट क्यों उठा रहे हैं हम ? इससे क्या फायदा ? हम तो वास्तव में इस दुनियां के अंदर नया चीज नही डाल रहे हैं जो इस दुनियां में नही है।
यदि हम संसार की सभी आदतों ,संसार की सभी इच्छाओं , संसार की सभी संरचनाओं को बनाए रखना चाहते हैं तो मैं नही मानता कि पुराना राह को छोड़कर हम बाहर निकल सकते हैं और कोई नया चीज कर सकते हैं।
यदि हम वास्तव में यंहा रहने का लाफ़ उठाना चाहते हैं तो एक नयी नजर से और नयी समझ से वस्तुयों को देखने और उन्हें समझने की कोशिश करें। वस्तुएं अभी जिस रूप में दिख रही है उस रूप को नही देखें बल्कि जैसा वह बनाया जा सकता है उसके उस रूप को देखें। हमने इस दुनियां और समाज को एक नया रूप देना चाहते हैं इसलिये अपनी नजर और अपनी राह पर हमेसा ध्यान दें ।
आइये हम सभी मिलकर एक नई दुनियां और नई समाज का सृजन करें
💐 जय श्री राधे राधे
Comments
Post a Comment