आदमी के लिये सबसे अच्छा धर्म कौन - सा है ?
इस दुनियां में अनेक प्रकार के धर्म प्रचलित है। लोग अपनी इच्छा के अनुसार अपने धर्म को अपनाते हैं। सारे धर्म मनुष्य को सही राह पर चलने की सिख देते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से मनुष्य अपने धर्म की परिभाषा अपनी सुविधानुसार करने लगता है। वह सिर्फ अपने धर्म को अच्छा मानता है जबकि दूसरे धर्मों का वह सम्मान नही करता है। यह छोटी विचार धारा मानव को मानव से दूर करता है। यह भावना मानवता के विकास में बहूत बड़ी बाधा है।
हम धार्मिक पैदा नही होते। मानव पैदा होते हैं , लेकिन हमारे जन्मदाता या पालनकर्ता हमें खास धर्म तक सीमित कर देते हैं। फलस्वरूप हम इन्शानियत जैसा महान धर्म से वंचित हो जाते हैं। मानव अगर इन्शानियत का धर्म नही निभा पाया तो इस पवित्र धरती पर जन्म लेने का क्या फायदा ।
इन्शानियत धर्म का सिद्धांत बिल्कुल आसान है :- हर मानव को अपने बराबर समझना ,हर किसी की मदद करना और कभी किसी को कष्ट नही देना।
इस बारे में तुलसीदास कहते हैं :-
परहित सरसी धरम नही भाई ,पर पीड़ा सम नही अधमाई अर्थात 'परोपकार से बड़ा पूण्य नही ,दूसरों को कष्ट देने से बड़ा पाप नही '
🙏 जय श्री राधे राधे
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