आदमी को अपने जीवन मे खुश रहने के लिये कितना पैसा चाहिये


आखिर जीवन जीने के लिये आदमी को कितना धन चाहिये ? धनवान व्यक्ति भी हिरे-मोती नही खाता। आंख बंद कर लेने के बाद सोने के महल और झोपड़ी ,पलंग और चटाई में कोई फर्क नही रहता ,फिर बहूत ज्यादा धन की इच्छा क्यों ? धन उतना ही जरूरी है जिसमे भोजन ,कपड़ा ,रहने का ठिकाना ,शिक्षा और ईलाज की व्यवस्था हो जाये।इन सब चीजों को पूरा करने के लिये आदमी को करोड़ो की जरूरत नही पड़ती। अत्यधिक धन न सिर्फ आपको खराब करता है बल्कि आनेवाली पीढ़ी को भी काहिल और भर्स्ट बना देता है। धनवान लोग सूरा ,सुंदरी और जुआ के गुलाम हो जाते हैं। वे अहंकारी भी हो जाते हैं। कमजोर लोगो को सताते और उनका शोषण करते हैं। इससे साफ स्पस्ट है अत्यधिक धन बुराइयों की एक लम्बी शृंखला लाता है ऐसी स्थिति में कबीर की यह वाणी बिल्कुल सत्य है
        👌 साई इतना दीजिये जामे कुटुम समाय
              में भी भूखा न रहूँ ,साधु न भूखा जाय।
जब दुनियां से खाली हाथ ही जाना है तो अत्यधिक धन किसके लिए न यह सपूत के लिये आवश्यक है और न कपूत के लिये। सिर्फ संतोष धन की प्राप्ति के बाद सब धन धूल के समान हो जाता है। अत्यधिक धन सही तरीके से कभी नही कमाया जा सकता है ,फिर धन के लिये आदमी बुरा क्यों बने ? अगर आपके पास धन है तो जरूरतमंदों और गरीबों पर लुटाइये। इस बारे में कबीर कहते हैं :-
      👌 जो जल बाढ़े नाव में ,घर मे बाढ़े दाम
            दोनों हाथ उलीचिये ,यही सयानो काम।
                     धन से आप दो साँसे नही खरीद सकते। धन से यदि सुख मिलता तो सिर्फ धनवान ही सुखी होते। धन की लालच के गुलाम मत बनो। धन आदमी को आदमी बनने में सबसे बड़ा बाधक है। अत्यधिक धन कमाने में पूरी जिंदगी बर्बाद हो जाती है। अपनी जरूरत के अनुसार धन कमाए ,सन्तोष रखें ,सुखी बने।
                            🙏जय श्री राधे राधे

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