आदमी को याद रखने वाली कुछ जरूरी बातें

# हमारा लक्ष्य न तो राजनीतिक है,न समाजिक ,वह आध्यात्मिक लक्ष्य है। हम जो चाहते हैं वह व्यतिगत चेतना का रूपांतरण है,शाशन या सरकार का परिवर्तन नही । उस लक्ष्य तक पहुचने के लिये हम किसी मानव साधन पर विस्वास नही करते ,चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो । हमे केवल 'भागवत कृपा ' पर विस्वास है ।

# जिस समय हर चीज बुरी से अधिक बुरी अवस्था की ओर जाती हुई प्रतीत होती है ,ठीक उसी समय हमें अपनी महान श्रद्धा का परिचय देना चाहिये और यह जानना चाहिये कि 'भागवत कृपा ' कभी हमारा साथ नही छोड़ेगी ।

# यंहा पर हमारा कोई धर्म नही है । हम धर्म के स्थान पर आध्यात्मिक जीवन को रखते हैं जो एक ही साथ अधिक सच्चा ,अधिक गहरा और अधिक उच्चा है यानी भागवत के अधिक निकट क्योंकि भागवत हर चीज में है ,परन्तु हम उसके बारे में सचेत नही हैं । यही वह विशाल प्रगति है जो इन्शान को करनी चाहिए ।

# प्रेम वह परम शक्ति है जिसे परम् चेतना ने अपने अंदर से एक धुंधले तथा अंधेरे जगत में इसलिये भेजा है ताकि वह उस जगत तथा उसकी सत्ता को 'भागवत कृपा ' तक वापस ला सके ।

# जब तुम अपनी पुरानी प्रवृति से सचमुच तंग आ जाते हो और चाहते हो कि चीजे दूसरी तरह से हो ,तब तुम्हारे अंदर डर,शंका तथा सन्देह पर विजय पाने का साहस,बल तथा सामर्थ्य आ जाता है ।

# तुम जितने अधिक दुखी होओगे रोना-धोना करते रहोगे इतने ही अधिक 'भागवत कृपा' से दूर होते जाओगे । श्री कृष्ण दुखी नही है और उन्हें पाने के लिये तुम्हे समस्त दुख और निर्बलता को अपने से बहूत दूर फेंक देना होगा ।

# हम कभी अकेले नही होते ,भागवत कृपा हमेसा हमारे साथ होती है ,यह हमारी जिम्मेवारी है कि हम उसकी उपस्थिति के बारे में सचेत रहे ।

# तुम्हारे लिये यह बिल्कुल सम्भव है कि तुम घर पर और अपने काम के बीच रह कर साधना करते रहो और बहूत से लोग ऐसा कर भी रहे हैं । शुरू में बस यह आवश्यक है कि जितना अधिक हो सके श्री कृष्ण का स्मरण करते रहो ,प्रत्येक दिन कुछ समय हृदय में उनका ध्यान करो ,अपने अंदर उनको अनुभव करने की इच्छा पैदा करो ,अपने कर्मो को उन्हें समर्पित करो और यह प्राथन करो कि वे आंतरिक रूप से तुम्हे मार्ग दिखाए और तुम्हे सम्भाल सके ।                          यह प्रारंभिक अवस्था है और इसमें बहूत सारा समय लग जाता है ,पर यदि कोई सच्चाई और लगन के साथ इस अवस्था मे से गुजरता है तो मनोवृति कुछ-कुछ बदलना शुरू कर देती है । साधक में एक नई चेतना खुल जाती है जो अपने अंदर से श्री कृष्ण की उपस्थिति के बारे में , प्रकृति और जीवन मे होने वाली क्रिया के बारे में और आध्यात्मिक अनुभूति के बारे में सचेत होना शुरू कर देती है 🙏जय श्री राधे राधे

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