तेरे दिल में ! Love Poem


दिल की नगरी में अब सुबह और शाम ,बस गूंजता है एक तेरा ही नाम,सोचता हूं वो लफ्ज़ कहा से ढूढ़ लाउ ,जिनमें तेरी तारीफ़ में मैं कुछ फर्माऊ,उफ़ तेरी अदाओ के वो जानलेवा कहर,क्या बताऊँ क्या दिलो जान पर करता है असर ,तेरे ही दीदार को तरसती है ये निगाहें,तुझको क्या खबर किस कदर तुझे चाहे हम।
                         यु बंद मेरी पलकें तेरे ही ख्बाब देखा करती है ,यु थमी थमी मेरी सांसे तेरे ही आंहे भर्ती है,मेरी ठहरी हुई रातो के जजबात बनकर बिखर जाओ ,खबाबो में तो रोज आते हो,कभी सुबह की पहली किरण के साथ हकीकत का एहसास भी बन जाओ।
                         जब भी समय की धरा बहेगी,यु मेरे तराने हर पल गुनगुनाये जाएंगे,प्यार के ये मेरे तराने तुझे याद आएंगे,रेत पे जो मैने लिखे है जजबात ,वो समय की धारा में बिखर न पाएंगे,बस गूंजेंगे तेरे दिल में और पल पल मुस्कुरायेंगे।
                                                  
                                     धन्यवाद
                                   धीरज वाणी

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