मेरी ख्वाहिश ! Love poem


हर प्रेमी चाहता है की उसकी प्रेमिका तपती धूप में छाया बने।पर मैं चाहता हु की प्रिय तुम धुप बनो,मेरे हाड-मांस ,मेरे रूह तक को गला देने वाली इन ठिठुरती सर्द हवाओ में ,मैं तुम्हारी गर्मी को महसूस कर संकु।

कोई शायद यह भी चाहता होगा की ,अँधेरे में रौशनी बनकर आए उसकी प्रियतमा ।पर तुम मेरे जीवन में ऐसी अंधकार बनकर छा जाओ की हमारे पास एक दूसरे को स्पर्श से महसूस  करने के अलावा और कोई चारा ही न रहे।

किसी ने शायद यह भी चाहा होगा की ,मेरे प्रियतमा दहकते रेगिस्तान पर वर्षा की बूंद बनकर गिरे।पर मेरी गुजारिश है ,तुमसे इतना टूट के बरसो की तुम्हारे सैलाब में अपना अस्तित्व मिटा संकू।

मैं जब जब अपना अस्तित्व बचाने को तड़पता हूँ ,तुझे भुलाने की कोशिश में एक तू ही याद रही।बाकि सब कुछ भूल गया हूं मैं।तुम्हे हमेशा अपनी शक्ति बनाया है ,कभी कमजोरी नहीं बनाऊंगा।तुम्हारा मेरी जिंदगी में होने का अर्थ है,बारहों महीने जैसा मैसम बहार का।

वो तुम्हारा टॉम एंड जेरी की तरह मिनटों में झगड़ा करना,सेकंडों में मेरी याद में तड़पते रहना ।मेरे बिना एक पल न रह पाना ,मेरे लिए अपना सबकुछ एक पल में बिना सोचे खोने को तैयार हो जाना।इस रिश्ते को मैं ,क्या नाम दूँ?अगर इस रिश्ते का नाम मैं प्यार दू,तो वो भी बहूत कम है।तो फिर क्या मैं इस रिश्ते का नाम दू??मेरी उलझने दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है ,आखिर इस रिश्ते का क्या नाम दू????????

                                       धन्यवाद
                                     धीरज वाणी

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