मैंने जो देखा था बस एक सपना था ! Love poem
मैंने जो देखा था,वो एक सपना था।
तू कौन सा अपना था।
मैंने किस से दिल लगा लिया।
क्यों सपने को हकीकत बना लिया ।
मैंने जो देखा था,वो एक सपना था।
सपने में जो भी था ,सिर्फ एक भर्म था।। वहां कौन सा अपना साथ था। होना तो बस विस्वास्धात था। मैंने जो देखा ,वो एक सपना था। इकरार सपने में हुआ। पर रिश्ता टूट असलियत में गया। सोचा क्या और क्या हो गया। जैसे भयानक सपना सच हो गया। मैंने देखा था.......................... बाते इतनी हो गयी की ..मुंह न खुला। सिर्फ आँखों में सबकुछ बया हो गया। मैंने जो देखा,वो एक सपना ही तो था।
धन्यवाद
धीरज वाणी
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